आषाढ़ की गरमी
आषाढ़ की गरमी से ही कचरा बाहर निकालता है। जेठ की तपन के बाद आषाढ़ की चिचिपहट में जो पसीना निकालता है। वह हमारे अंदर के विकारों को बहार निकालने का काम करता है। इसलिए इस चिपचिपाहट से भागिए नहीं इसका स्वागत करो।
यह आषाढ़ की बदबूदार गरमी तुम्हें कुंदन बनने के लिए है।
शायद इसीलिये हमारे मनीषियों नेगु रु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन रखा है।
आओ इसके स्वागत के लिए तैयार हों।
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